( तर्ज- अगर हैं ग्यानको पाना ० )
भजन कैसे बने उनसे ,
विषयमें जो कि लटके हैं ?
भरेंगे वेहि जमके घर ,
पडेंगे उनको झटके हैं ॥ टेक ॥
तरावट मालको खाना ,
मिला गांजा वहाँ जाना ।
लूटकर द्रव्यको लाना ,
इन्ही बातोंमें चटके हैं ॥१ ॥
पलंगपर डारके गादी ,
उसीपर धर चदर खादी ।
बने हैं इश्कके फंदी ,
खबर क्या ? फेर - फटके हैं ॥२ ॥
बडाई गाँवमें करते ,
झूठही बातको बकते ।
समयको देखकर झुकते ,
उन्हीके संग खटके हैं || ३ ||
बढाकर सिर जटा भारी ,
बगलमें तुंबडियाँ मारी ।
हमेशा देख परनारी ,
कामके पास सटके हैं | ॥ ४ ॥
कहे तुकड्या सुनो भाई !
इसे नहि संत कहलाई ।
संतके राम मन भाई ,
और सब ' पेट ' रटके हैं ॥५ ॥
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